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अवैध वाहनों की छत पर बैठ कर गंतव्य की और जाते यात्री । |
सिरसा। 6 नवम्बर(सुनीत सरदाना) : जिला में ग्रामीण संपर्क मार्गों से लेकर नैशनल हाईवे पर अवैध वाहन सरपट दौड़ते देखे जा सकते हैं। हादसों का पर्याय बन चुके इन अवैध वाहनों पर विभाग पूरी तरह शिकंजा कसने में नाकाम साबित हुआ है। चाहे मुख्य मार्ग डबवाली-सिरसा मार्ग का जिक्र करें या फिर ऐलनाबाद-सिरसा हो सिरसा-रानियाँ हो या सिरसा-हिसार रोड की बात करें सभी मार्गों पर ये अवैध वाहन सवारियां ढोते नजर आते हैं। इंटीरियर में पडऩे वाले पैंतालिसा एवं अन्य ग्रामीण इलाकों में भी अवैध वाहन दौड़ते नजर आते हैं। परिवहन महकमे को ये अवैध वाहन चूना लगा रहे हैं और साथ ही दुर्घटनाओं का भी एक बड़ा कारण अवैध वाहन ही हैं। बात कुछ समय पहले की है कि एक हादसे में 15 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे,और एक मैक्सी कैब पेड़ से जा टकराई थी। इस मैक्सी कैब में डेढ़ दर्जन लोग सवार थे, जिसमें से तीन लोगों को मौत ने लील लिया था। सालभर में इस तरह की अनेक घटनाएं घटित होती हैं। दरअसल पंजाब एवं राजस्थान की सीमा से सटे सिरसा जिला में अवैध वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। रोडवेज की अधिकांश बसें स्टेट एवं नैशनल हाईवे पर दौड़ती हैं। सहकारी समिति की बसों के परमिट भी अब गांवों की बजाय कस्बों व शहरों की ओर हो गए हैं। ऐसे में इंटीरियर इलाके में बस सेवा की बेहद कमी है। ऐसे में इस कमी का लाभ अवैध वाहन संचालक उठा रहे हैं। मसलन पैंतालिका इलाके में सहकारी एवं रोडवेज दोनों तरह की बस सेवा लचर है। रोडवेज प्रशासन की इसी लचरता का ही परिणाम है कि इस इलाके में दर्जनों अवैध वाहन दौड़ रहे हैं। डबवाली बड़ा उपमंडल है। सिरसा मुख्यालय से डबवाली की दूरी 60 किलोमीटर है। शाम के समय डबवाली के लिए पर्याप्त बस सेवा नहीं है। ओढां भी इसी मार्ग पर है। डबवाली जाने वाले लोगों की तादाद सैंकड़ों में है।ऐलनाबाद,रानियाँ और कालांवाली भी सिरसा के महत्वपूर्ण ब्लाक हैं। सहकारी व सरकारी बस सेवा लचर है ऐसे में अवैध वाहन ही रात्रि के समय जाने वाले यात्रियों को सुविधा देते हैं।जैसा कि विदित है कि रोडवेज़ कि बसें शाम के 7 -8 बजे तक ही हैं।बसें हाथ से निकल जाने के कारण यात्री भी लाचारी में अवैध वाहनों में सफर करने को विवश हैं। अवैध वाहन चलाने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वो पिछले करीब 8 वर्ष से रोजाना सिरसा से कागदना का सफर करता है। चालक ने बताया कि बहुत से लोगों के लिए तो यह एक बड़ा कारोबार है। कुछेक लोगों के तो आधा दर्जन से अधिक अवैध वाहन चलते हैं। जाहिर है कि परिवहन विभाग के ढुलमुल रवैये के चलते अवैध वाहन का धंधा बहुत से लोगों के लिए मुनाफे का गोरखधंधा और आमजन के लिए खतरा बना हुआ है। अवैध वाहनों पर शिकंजा कसने की रणनीति बाबत जब संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने कि कोशिश कि गयी तो उनसे संपर्क न हो सका।
भेड़-बकरियां या सवारियां
अवैध वाहनों में अधिकांश जीपें, बसें, टाटा सूमो व अन्य ऐसे ही वाहन शामिल हैं, जिनमें दस से अधिक लोग सवार हो सकते हैं। रोचक बात यह है कि इन जीपों में यात्रियों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंसा जाता है और अपने ठिकानों तक पहुँचने की लालसा में यात्रियों को ऐसे वाहनों में सवार होने को बाध्य करती हैं। आम तौर पर दोपहर बाद सक्रिय होने वाले ये अवैध वाहन देर रात कतक अपना काम जारी रखते हेँ। इसकी एक वजह है कि दड़बा क्षेत्र के अनेक ऐसे गांव है जिनमें शाम क समय केवल एक ही बस जाती है और इस बस के निकलने के बाद अवैध वाहनों की चांदी शुरू हो जाती है। जिन रूटों पर प्राइवेट बसें चलती हैं उन पर सरकारी बसें नहीं चलती और हैरानी की बात यह है कि करीब 100 से अधिक गांवों को एक भी सरकारी बस सेवा उपलब्ध नहीं है। इस का फायदा उठाने में न तो प्राइवेट बसें पीछे रहती हैं तथा न ही अवैध वाहन। खास बात यह है कि इन अवैध वाहनों के ड्राइवरों को इस रूट पर चलने वाली सरकारी व निजी बसों के टाइम के बारे में पल-पल का पता होता है और वे ऐसे समय अपनी उड़ान भरते हैं, जब उन्हें पता होता है कि अब इतनी देर बस नहीं आएगी? अनेक बार ऐसा भी देखा गया है कि बसों के आगे-आगे दौड़ती ये गाडिय़ां पहले सवारियां उठाने का प्रयास करते हैं।
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