लघुसचिवालय के बाहर प्रदर्शन करते किसान |
किसानों के अनुसार उनकी जमीनें,जो की सेक्टर 21-22 में आती हैं,उन्हें औद्योगीक क्षेत्र बनाने के लिए उनसे कम दामों में छीन कर आगे उद्योगपतियों को बेचा जा रहा है. किसान कल्याण समिति के प्रधान सोमप्रकाश सेठी इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं. सरदार पूर्ण सिंह संधू,जो की समिति के सरंक्षक हैं ने बताया की हमारी जमीनों की वास्तविक कीमत 94 लाख रुपये प्रति एकड़ है,परन्तु सरकार उन्हें केवल पचास लाख रुपये ही देने को तैयार है परन्तु वो भी किश्तों में. पूर्ण सिंह के अनुसार अगर यह भूमि अधिग्रहित कर लि जाती है तो इसके बाद लगभग 12000 लोग बेघर हो जायेंगे ।
किसानों का यह भी नारा था की 1947 के बेघर हुए लोगों को दुबारा मत उजाडो । उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के उस कथन को भी दोहराया की किसान अपनी दस एकड़ भूमि गवा कर एक एकड़ ही खरीद पाता है. किसानों ने यह कहा की 28 सितम्बर से लेकर आज तक वो प्रदर्शन पर हैं.लेकिन सरकार की तरफ से उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं आया.किसानों ने चेतावनी दी है की वो किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. अगर सरकार को भूमि चाहिए तो वह कृषि योग्य भूमि हे क्यों अधिग्रहित कर रही है । जबकि अन्य बंजर भूमि को वह उपयोग कर सकती है ।
किसानों का यह भी नारा था की 1947 के बेघर हुए लोगों को दुबारा मत उजाडो । उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के उस कथन को भी दोहराया की किसान अपनी दस एकड़ भूमि गवा कर एक एकड़ ही खरीद पाता है. किसानों ने यह कहा की 28 सितम्बर से लेकर आज तक वो प्रदर्शन पर हैं.लेकिन सरकार की तरफ से उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं आया.किसानों ने चेतावनी दी है की वो किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. अगर सरकार को भूमि चाहिए तो वह कृषि योग्य भूमि हे क्यों अधिग्रहित कर रही है । जबकि अन्य बंजर भूमि को वह उपयोग कर सकती है ।
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